20 आंखों में आंसू वाली शायरी, रोने वाली शायरी, रोने पर शायरी, प्यार भरी शायरी, सीने में दर्द शायरी, रुलाने वाली शायरी, आसु पर शायरी, दर्द भरी शायरी, आंसुओं पर शायरी
अश्क़ ही मेरे दिन हैं अश्क़ ही मेरी रातें
अश्कों में ही घुली हैं वो बीती हुयी बातें
कभी रो के मुस्कुराए, कभी मुस्कुरा के रोए
जब भी तेरी याद आई तुझे भुला के रोए
एक तेरा ही तो नाम था जिसे हज़ार बार लिखा
जितना लिख के खुश हुए उस से ज़यादा मिटा के रोए
काँटों की सेज पर चलने की हमें अब आदत हो गई है
न रोये कोई हमे देख कर
हमें अब आँसू बहाने की आदत हो गई है
प्यार कर के कोई जताए ये ज़रूरी तो नहीं
याद कर के कोई बताये ये ज़रूरी तो नहीं
रोने वाले तो दिल में ही रो लेते हैं अपने
कभी आँख में आसूं आये ये ज़रूरी तो नहीं
भर आई मेरी आँखे जब उसका नाम आया
इश्क़ नाकाम सही फिर भी बहुत काम आया
हमने मोहब्बत में ऐसी भी गुज़ारी कई रातें
जब तक आँसू ना बहे दिल को आराम न आया
हिम्मत इतनी थी समुन्दर भी पार कर सकते थे
मजबूर इतने हुए कि दो बूँद आँसुओं ने डुबो दिया
खुद के लिए इक सज़ा मुकर्रर कर ली मैंने
तेरी खुशियो की खातिर तुझसे दूरियां चुन ली मैंने
कौन कहता है कि आंसुओं में वज़न नहीं होता
एक भी छलक जाए तो मन हल्का हो जाता है
आगोश-ए-सितम में छुपाले कोई
तन्हा हूँ तड़पने से बचा ले कोई
सूखी है बड़ी देर से पलकों की जुबां
बस आज तो जी भर के रुला दे कोई
मज़बूरी में जब कोई जुदा होता है
ज़रूरी नहीं कि वो बेवफ़ा होता है
देकर वो आपकी आँखों में आँसू
अकेले में आपसे ज्यादा रोता है
इत्तिफ़ाक़ समझो या मेरे दर्द की हकीक़त
आँख जब भी नम हुई वजह तुम ही निकले
मेरे दिल में न आओ वर्ना डूब जाओगे
गम के आँसू का समंदर है मेरे अन्दर
सदियों बाद उस अजनबी से मुलाक़ात हुई
आँखों ही आँखों में चाहत की हर बात हुई
जाते हुए उसने देखा मुझे चाहत भरी निगाहों से
मेरी भी आँखों से आंसुओं की बरसात हुई
अश्क बन कर आँखों से बहते हैं
बहती आँखों से उनका दीदार करते हैं
माना की ज़िंदगी मे उन्हे पा नही सकते
फिर भी हम उनसे बहुत प्यार करते हैं
जब्त-ए-गम कोई आसान काम नहीं फराज
आग होते है वो आँसू जो पिए जाते हैं
पलकों के बंध तोड़ के दामन पे गिर गया
एक अश्क मेरे ज़ब्त की तौहीन कर गया
मेरी आँखों में आँसू नहीं बस कुछ नमी है
वजह तू नहीं बस तेरी ये कमी है
आंसुओसे पलके भिगा लेता हूँ ,याद तेरी आती है तो रो लेता हूँ
सोचा की भुलादु तुझे मगर, हर बार फ़ैसला बदल देता हूँ
जिस तरह हँस रहा हूँ मैं पी पी के गर्म अश्क
यूँ दूसरा हँसे तो कलेजा निकल पड़े
आँसू आ जाते हैं आँखों में
पर लबों पे हसी लानी पड़ती है
यह मोहब्बत भी क्या चीज़ है यारो
जिससे करते है उसी से छुपानी पड़ती है
20 आंखों में आंसू वाली शायरी
अश्क़ ही मेरे दिन हैं अश्क़ ही मेरी रातें
अश्कों में ही घुली हैं वो बीती हुयी बातें
कभी रो के मुस्कुराए, कभी मुस्कुरा के रोए
जब भी तेरी याद आई तुझे भुला के रोए
एक तेरा ही तो नाम था जिसे हज़ार बार लिखा
जितना लिख के खुश हुए उस से ज़यादा मिटा के रोए
काँटों की सेज पर चलने की हमें अब आदत हो गई है
न रोये कोई हमे देख कर
हमें अब आँसू बहाने की आदत हो गई है
प्यार कर के कोई जताए ये ज़रूरी तो नहीं
याद कर के कोई बताये ये ज़रूरी तो नहीं
रोने वाले तो दिल में ही रो लेते हैं अपने
कभी आँख में आसूं आये ये ज़रूरी तो नहीं
भर आई मेरी आँखे जब उसका नाम आया
इश्क़ नाकाम सही फिर भी बहुत काम आया
हमने मोहब्बत में ऐसी भी गुज़ारी कई रातें
जब तक आँसू ना बहे दिल को आराम न आया
हिम्मत इतनी थी समुन्दर भी पार कर सकते थे
मजबूर इतने हुए कि दो बूँद आँसुओं ने डुबो दिया
खुद के लिए इक सज़ा मुकर्रर कर ली मैंने
तेरी खुशियो की खातिर तुझसे दूरियां चुन ली मैंने
कौन कहता है कि आंसुओं में वज़न नहीं होता
एक भी छलक जाए तो मन हल्का हो जाता है
आगोश-ए-सितम में छुपाले कोई
तन्हा हूँ तड़पने से बचा ले कोई
सूखी है बड़ी देर से पलकों की जुबां
बस आज तो जी भर के रुला दे कोई
मज़बूरी में जब कोई जुदा होता है
ज़रूरी नहीं कि वो बेवफ़ा होता है
देकर वो आपकी आँखों में आँसू
अकेले में आपसे ज्यादा रोता है
इत्तिफ़ाक़ समझो या मेरे दर्द की हकीक़त
आँख जब भी नम हुई वजह तुम ही निकले
मेरे दिल में न आओ वर्ना डूब जाओगे
गम के आँसू का समंदर है मेरे अन्दर
सदियों बाद उस अजनबी से मुलाक़ात हुई
आँखों ही आँखों में चाहत की हर बात हुई
जाते हुए उसने देखा मुझे चाहत भरी निगाहों से
मेरी भी आँखों से आंसुओं की बरसात हुई
अश्क बन कर आँखों से बहते हैं
बहती आँखों से उनका दीदार करते हैं
माना की ज़िंदगी मे उन्हे पा नही सकते
फिर भी हम उनसे बहुत प्यार करते हैं
जब्त-ए-गम कोई आसान काम नहीं फराज
आग होते है वो आँसू जो पिए जाते हैं
पलकों के बंध तोड़ के दामन पे गिर गया
एक अश्क मेरे ज़ब्त की तौहीन कर गया
मेरी आँखों में आँसू नहीं बस कुछ नमी है
वजह तू नहीं बस तेरी ये कमी है
आंसुओसे पलके भिगा लेता हूँ ,याद तेरी आती है तो रो लेता हूँ
सोचा की भुलादु तुझे मगर, हर बार फ़ैसला बदल देता हूँ
जिस तरह हँस रहा हूँ मैं पी पी के गर्म अश्क
यूँ दूसरा हँसे तो कलेजा निकल पड़े
आँसू आ जाते हैं आँखों में
पर लबों पे हसी लानी पड़ती है
यह मोहब्बत भी क्या चीज़ है यारो
जिससे करते है उसी से छुपानी पड़ती है
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